Bachpan wali diwali 

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हफ्तों पहले से साफ़-सफाई में जुट जाते हैं
चूने के कनिस्तर में थोड़ी नील मिलाते हैं
अलमारी खिसका खोयी चीज़ वापस  पाते हैं
दोछत्ती का कबाड़ बेच कुछ पैसे कमाते हैं 
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं  ....


दौड़-भाग के घर का हर सामान लाते हैं 
चवन्नी -अठन्नी  पटाखों के लिए बचाते हैं
सजी बाज़ार की रौनक देखने जाते हैं
सिर्फ दाम पूछने के लिए चीजों को उठाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....


बिजली की झालर छत से लटकाते हैं
कुछ में मास्टर  बल्ब भी  लगाते हैं
टेस्टर लिए पूरे इलेक्ट्रीशियन बन जाते हैं
दो-चार बिजली के झटके भी  खाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....


दूर थोक की दुकान से पटाखे लाते है
मुर्गा ब्रांड हर पैकेट में खोजते जाते है
दो दिन तक उन्हें छत की धूप में सुखाते हैं
बार-बार बस गिनते जाते है
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....


धनतेरस के दिन कटोरदान लाते है
छत के जंगले से कंडील लटकाते हैं
मिठाई के ऊपर लगे काजू-बादाम खाते हैं
प्रसाद की  थाली   पड़ोस में  देने जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....


माँ से खील में से  धान बिनवाते हैं 
खांड  के खिलोने के साथ उसे जमके खाते है 
अन्नकूट के लिए सब्जियों का ढेर लगाते है 
भैया-दूज के दिन दीदी से आशीर्वाद पाते हैं 
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....


दिवाली बीत जाने पे दुखी हो जाते हैं  
कुछ न फूटे पटाखों का बारूद जलाते हैं 
घर की छत पे दगे हुए राकेट पाते हैं 
बुझे दीयों को मुंडेर से हटाते हैं 
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....


बूढ़े माँ-बाप का एकाकीपन मिटाते हैं 
वहीँ पुरानी रौनक फिर से लाते हैं 
सामान  से नहीं ,समय देकर सम्मान  जताते हैं
उनके पुराने सुने किस्से फिर से सुनते जाते हैं 
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....

2. Sweet Happy Diwali Poem


खुशियों में सभी रंग जाये ,आओ ऐसे मनायें दीवाली |
चंदा भी धरा पर जाये ,आओ ऐसे मनायें दीवाली ||

बहुत जलाये दीप सभी ने ,मिटा ना अब तक अंधियारा |
गले मिले हर साल मगर ,ना मिला दिलों का गलियारा ||
 नेह की चिंगारी से जला दें ,दुश्मनी जो बरसों से पाली |
खुशियों में सभी रंग जाये , आओ ऐसे मनायें दीवाली ||

धन दौलत की चमक धमक में हमने खोया अपनों को |
लक्ष्मी को पूजा लेकिन ना मान दिया गृहलक्ष्मी को ||
दो पल सोचो आखिर क्या, हम सबसे कहती दीवाली |
खुशियों में सभी रंग जाये आओ ऐसे मनायें दीवाली ||

3.Sweet Happy Diwali Poem

आज रात चाँद इक महफ़िल में छा गया
धुन तो नहीं थी कोई मगर गीत गा गया

रोशनी में रोशनी दिखती नहीं मगर
दीपक जलें अनेक तो रामराज्य गया

अपने ही हाथों में है अपनी ही आबरू
कह-कह के और भी कई कहकहे लगा गया

जानते हो, बूझते हो, फिर सवाल क्यूँ 
कौन था वो कौन था जो मुझको भा गया

हम सब लगे हैं खोज में अपने ही चाँद की
हम सब की राह में कोई अलख जगा गया