Nrc and CAB Bill Poem in Hindi
Their is huge protest and confusion among people regarding the Nrc and CAB Bill. For this I am sharing short poem on this topic to put some light on the bill. Hope you will like.
अगर यहीं के हो ,
तो इतना "डर" कैसे,
मगर चोरी से घुसे हो,
तो ये तुम्हारा "घर" कैसे??
अगर तुम "अमनपसंद" हो,
तो इतनी "गदर" कैसे?
जिसे खुद "खाक" कर रहे हो,
वो तुम्हारा "शहर" कैसे??
कल तक सिर्फ कोहरा था,
मेरे शहर की फ़िज़ा में,
आज़ नफरत का धुआं है,
तो सुहानी "सहर" (morning)कैसे?
इज़हार ए नाराज़ी करो,
आईन(constitution)की ज़द में,
मगर गली कूंचों में,
इतनी "मज़हबी लहर" कैसे?
सिर्फ लहज़ा सख्त होता,
तो हम चुप भी रह लेते,
मगर तुम्हारे लफ़्ज़ों और नारों में,
"जिहादी ज़हर" कैसे?
सियासत से ख़िलाफ़त करो,
हमे कोई गिला नही है,
रियासत (Nation)से दग़ा होगी,
तो हम करें "सबर" कैसे?
अगर यहीँ के हो ,
तो इतना "डर" कैसे?
मगर चोरी से घुसे हो,
तो ये तुम्हारा "घर" कैसे??